Friday, March 27, 2020

Ambedkar Jayanti:भीमराव आंबेडकर हर शोषित वर्ग के नेता

Ambedkar Jayanti:भीमराव आंबेडकर हर शोषित वर्ग के नेता 

 
    14 अप्रैल यानी देश के संविधान निर्माता और भारतरत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती. आज की राजनीति में भीमराव अंबेडकर ही एक मात्र ऐसे नायक हैं, जिन्हें सभी राजनीतिक दलों में उन्हें 'अपना' बनाने की होड़ लगी है. यह बात सही है कि अंबेडकर को दलितों का मसीहा माना जाता है, मगर यह भी उतना ही सही है कि उन्होंने ताउम्र सिर्फ दलितों की ही नहीं, बल्कि समाज के सभी शोषित-वंचित वर्गों के अधिकारों की बात की. उनके विचार ऐसे रहे हैं जिसे न तो दलित राजनीति करने वाली पार्टियां खारिज कर पाई है और न ही सवर्णों की राजनीति करने वाली पार्टियां.   



    डॉ.भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू नामक एक गांव में हुआ था. इनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था. इनके पिता ब्रिटिश भारतीय सेना में काम करते थे. ये अपने माता-पिता की 14वीं संतान थे. ये महार जाति से ताल्लुक रखते थे, जिसे हिंदू धर्म में अछूत माना जाता था. दरअसल, घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण इनका पालन-पोषण बड़ी मुश्किल से हो पाया. इन परिस्थितियों में ये तीन भाई- बलराम, आनंदराव और भीमराव तथा दो बहनें मंजुला और तुलसा ही जीवित बच सके. सभी भाई-बहनों में सिर्फ इन्हें ही उच्च शिक्षा मिल सकी.



      संविधान की नींव रखने वाले डॉ बाबासाहेब आंबेडकर आज की राजनीति के ऐसे स्तंभ हैं, जिन्हें कोई भी खारिज नहीं कर पाता है. यही वजह है कि आज अंबेडकर आज भी उतने ही प्रासंगिक नजर आते हैं.  डॉ.अंबेडकर ने सामाजिक कुरीतियां और भेद-भाव को मिटाने के लिए काफी संघर्ष किया.

      ऐसा कहा जाता है कि हिंदू धर्म में व्याप्त चतुष्वर्णीय जाति व्यवस्था के कारण इन्हें जीवन भर छुआछूत का सामना करना पड़ा. स्कूल के सबसे मेधावी छात्रों में गिने जाने के बावजूद इन्हें पानी का गिलास छूने का अधिकार नहीं था. बाद में इन्होंने हिंदू धर्म की कुरीतियों को समाप्त करने का जिंदगी भर प्रयास किया. हालांकि, कुछ जानकार यह भी कहते हैं कि जब इन्हें लगा कि ये हिंदू धर्म से कुरीतियों को नहीं मिटा पाएंगे, तब 14 अक्टूबर, 1956 में अपने लाखों समर्थकों सहित बौद्ध धर्म अपना लिया.


    डॉ. अंबेडकर की पहली शादी नौ साल की उम्र में रमाबाई से हुई. रमाबाई की मृत्यु के बाद इन्होंने ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाली सविता से विवाह कर लिया. सविता ने भी इनके साथ ही बौद्ध धर्म अपना लिया था. अंबेडकर की दूसरी पत्नी सविता का निधन वर्ष 2003 में हुआ. ऐसा माना जाता है कि भीमराव ने अपने एक ब्राह्मण दोस्त के कहने पर अपने नाम से सकपाल हटाकर अंबेडकर जोड़ लिया, जो अंबावड़े गांव से प्रेरित था.

डॉ.बाबासाहेब अंबेडकर की जयंती (Ambedkar Jayanti):14 अप्रैल


     डॉ.बी.आर .अंबेडकर को 15 अगस्त, 1947 को देश की आजादी के बाद देश के पहले संविधान के निर्माण के लिए 29 अगस्त, 1947 को संविधान की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया.  फिर 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन के बाद संविधान बनकर तैयार हुआ. 26 नवंबर, 1949 को इसे अपनाया गया और 26 जनवरी, 1950 को लागू कर दिया गया. दरअसल, अंबेडकर की गिनती दुनिया के सबसे मेधावी व्यक्तियों में होती थी. वे नौ भाषाओं के जानकार थे. इन्हें देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों से पीएचडी की कई मानद उपाधियां मिली थीं. इनके पास कुल 32 डिग्रियां थीं. यही वजह है कि कानूनविद् अंबेडकर को प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत का पहला कानून मंत्री बनाया था.


       डॉ. अंबेडकर ने समाज में व्याप्त बुराइयों के लिए सबसे ज्यादा अशिक्षा को जिम्मेदार माना. इन्होंने महिलाओं की शिक्षा पर जोर दिया. बाबा साहेब ने सिर्फ अछूतों के अधिकार के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज के पुनर्निर्माण के लिए प्रयासरत रहे. उन्होंने मजदूर वर्ग के कल्याण के लिए भी उल्लेखनीय कार्य किया. पहले मजदूरों से प्रतिदिन 12-14 घंटों तक काम लिया जाता था। इनके प्रयासों से प्रतिदिन आठ घंटे काम करने का नियम पारित हुआ.


        ये अकेले भारतीय हैं, जिनकी प्रतिमा लंदन संग्रहालय में कार्ल मार्क्‍स के साथ लगी है. साल 1948 में डॉ. अंबेडकर मधुमेह से पीड़ित हो गए. छह दिसंबर, 1956 को इनका निधन हो गया. डॉ. अंबेडकर को देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित सम्मान मिले. इनके निधन के 34 साल बाद वर्ष 1990 में जनता दल की वी.पी. सिंह सरकार ने इन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारतरत्न से सम्मानित किया था.



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